वितीय विवरण समझना (Understanding Financial Statement )

परिचय : –

                     वितीय विवरण (Financial Statement ) का तात्पर्य उन विवरणों से होता है | जिसमे व्यवसाय

की एक वर्ष की Profitability और Financial Position दर्शाए गये है | इस प्रकार,”वितीय विवरण (financial statement) लेंखाकन अवधि के अंत में व्यवसायिक गतिविधियों  की वितीय स्थिति और परिणाम को दर्शाते है |

 

  • प्रत्यक्ष खरीद (Direct Purchase or Procurement)  

 

किसी कम्पनी में उत्पादन के लिए कच्चे माल को खरीदने का कार्य करना प्रत्यक्ष खरीद कहलाता है | किसी बिचोलियों का उपयोग किये बिना सार्वजनिक रूप से कारोबार करने वाली कम्पनी में माल खरीदने के कार्य को प्रत्यक्ष खरीद कह सकते है |

 

उदाहरण 1 : मान लीजिये एक कम्पनी बजाज ऑटो है जो दोपहिया वाहन बनाती है और दूसरी कम्पनी है  MRF टायर्स , जो टायर्स बनाती है | बजाज ऑटो ने अपनी कम्पनी में MRF Tyres कम्पनी से टायर्स खरीदे, जिनका उपयोग दोपहिया वाहन का उत्पादन करने में होता है | इस प्रकार टायर की खरीद बजाज ऑटो के लिए प्रत्यक्ष खरीद होगी क्योंकि बजाज ऑटो कम्पनी ने उसको सीधे MRF टायर्स से खरीदा है और MRF Tyres कम्पनी टायर बनाती है | इस प्रकार बजाज ऑटो के लिए टायर्स के रूप में कच्चे माल की प्रत्यक्ष खरीद है इसी तरह MRF Tyres के लिए वह अंतिम उत्पाद (Finished product) की बिक्री होगी |

 

 

  • अप्रत्यक्ष खरीद (Indirect purchase or procurement)

                                                                                     अप्रत्यक्ष खरीद एक व्यवसाय के लिए उन सभी सामान की

खरीद है जो कम्पनी के संचालन सम्बंधित कार्य को सुचारू रूप में बनाए रखने और विकसित करने के लिए उपयोग में आते है | इसमें ऐसा सामान बहुत कम होता है जिसकी मांग बार-बार होती है अर्थात अप्रत्यक्ष खरीद श्रेणी में दोहराने योग्य सामान की मांग का हिस्सा कम होता है | यह प्रत्यक्ष खरीद की तुलना में बहुत अलग मांगों और चुनोतिया के अधीन होता है |

अप्रत्यक्ष खरीद की तुलना प्रत्यक्ष खरीद से नही की जा सकती है क्योंकि इसमें जो हम क्रय करते है वो प्रत्यक्ष माल की तुलना में बिलकुल विपरीत है | प्रत्यक्ष माल की खरीद सिर्फ उत्पादन के लिए होती है , जबकि अप्रत्यक्ष खरीद उत्पादन के कार्यो को अथवा संस्थान के अन्य कार्यो को सुचारू रूप से चलाने के लिए होती है |

  • आय और व्यय में अंतर (Difference between Income & Expenditure

आय से अभिप्राय है व्यवसाय में भुगतान के रूप में जो  पैसा आया जबकि व्यय से अभिप्राय व्यवसाय में भुगतान के रूप में जो पैसा हमने दिया |

 

 

 1.4     आय (Income)                                                                             

आय का अर्थ राजस्व या बिक्री को संदर्भित

करता है |      राजस्व वह राशि है जो किसी कम्पनी को व्यवसाय के दोरान सामान या सेवाओ को बेचने से प्राप्त होती है | इस प्रकार की आय को राजस्व खाते (Revenue Account ) में दर्ज किया जाता है|

 

उदाहण 1 :- एक व्यक्ति ने किसी कम्पनी के 10 shares खरीदे जिनका मुल्य 1000 रूपये प्रति share है                            इस प्रकार   कुल 10000 रूपये का निवेश किया | कम्पनी ने अपने लाभ में से 15 रूपये प्रति share के हिसाब से 150 रूपये का लाभांस (Divident) के रूप में भुगतान दिया , तो यह लाभांस के रूप में प्राप्त 150 रूपये उस व्यक्ति की आय मानी जाएगी |

 

 1.5    व्यय (Expense / Expenditure)                                                   

Expenses वह खर्चे , जिनका भुगतान कम्पनी ने अपनी आय कमाने के उद्देश्य से किया हो , जिससे आय अर्जित हो | व्यवसाय को सुचारू रूप में चलाने और व्यवसाय में आय या इनकम सुनिश्चित करने के लिए किये गये खर्चो को “Expense”कहते है |

 

1 .6 राजस्व व्यय (Revenue Expenditure)                                              

राजस्व व्यय वो व्यय है जिसका लाभ वर्ष में प्राप्त होगा जैसे – बेचे गये माल की लागत , मरम्मत और

रखरखाव व्यय आदि |

 

1.7 पूंजीगत व्यय (Capital Expenditure)                                                                                            

                                  भवन , भूमि , मशीन आदि की खरीद पर किया गया खर्च पूंजीगत व्यय कहलाता है |

 

                     

                     

                     

2 . परिचालन से राजस्व को समझना

 

 

2.1 परिचालन से राजस्व (Revenue from operation)

वह राजस्व जो एक संस्थान , कम्पनी अपनी प्राथमिक व्यवसायिक गतिविधियों से अर्जित करती है वह परिचालन  से अर्जित आय राजस्व कहलाता है |

 

संस्थाए दो प्रकार की होती है :

1 . गैर – वितीय संस्थान :- एक  दुकानदार माल की बिक्री के माध्यम से अपना परिचालन राजस्व अर्जित करता है , एक चिकित्सक अपनी चिकित्सा सेवा प्रदान करके अपना परिचालन राजस्व अर्जित करता है |

  • .वितीय संस्थान :- इस प्रकार की संस्था में प्राप्त होने वाली आय को परिचालन से आय (Operating Revenue) कहा जाता है |

 

उदाहरण 1 :-    बजाज ऑटो दोपहिया वाहन बनाती है और अपने दैनिक मुख्य व्यवसाय के रूप में दोपहिया वाहन को बेचती है , तो

संचालन या परिचालन से  राजस्व के लिए केवल दोपहिया की बिक्री से अर्जित आय को राजस्व कहा जाये|

                            

                               3 . परिसम्पतियो और देयताओं में अंतर

  3 .1 परिसम्पतियो (assests):-  

                                                किसी भी चीज का आर्थिक मुल्य , जो कम्पनी के स्वामित्व में है , उसे परिसम्पतियो के रूप में जाना जाता है वो सम्पति या वस्तु जिनको नकदी में परिवर्तित किया जा सके या जो शीघ्र ही कम्पनी के लिए आय उत्पन्न कर सके उसे परिसम्पतियो कहते है| लेंखाकन पद्धति में परिसम्पतियो को दो व्यापक श्रेणियों में विभाजित किया है :

गैर – वर्तमान परिसम्पतियो (Non-current Assets):-

  • मूर्त अचल सम्पति (Tangible Fixed Assets):
  • अमूर्त अचल सम्पति (Tangible Fixed Assets)
  • दीर्घकालीन निवेश (Long-term Investments)

वर्तमान परिसम्पतियो (Current Assets):-

  • प्राप्य खाता (Account Receivable)
  • इन्वेंटरी (Inventory)
  • निवेश (investment)
  • नकदी (Cash)
  • प्रीपेड खर्च (Pripaid Expenses)

 

3.2  देयता / दायित्व (Liabilities)

                                                        कम्पनी द्वारा किसी भी व्यक्ति या संगठन को बकाया किसी भी ऋण का आर्थिक मुल्य एक दायित्व के  रूप में जाना जाता है | देनदारियां पिछले लेनदेन से उत्पन्न होने वाली जिम्मेदारियां है जिनका भुगतान कम्पनी द्वारा शीघ्र ही इकाई के स्वामित्व वाली परिसम्पतियाँ के माध्यम से किया जाना है | लेखांकन पद्धति में देनदारियां को दो व्यापक श्रेणियों में विभाजित किया जाता है |

 

गैर – वर्तमान दायित्व (Non-Current Liability):

  • ऋणपत्र (Debentures)
  • दीर्घकालीन ऋण (Long Term Loan)

वर्तमान दायित्व (Current Liability):  

  • अल्पावधि ऋण (Short-term Loan)
  • देय खाता (Account Payable)
  • बैंक ओवरड्राफ्ट (Bank Overdraft)
  • बकाया खर्च (Outstanding expenses)

 

3.3 वितीय विवरण के उद्देश्य (Objectives of Financial Statement)

                                                                          

                                            वितीय विवरण (Financial statement) किसी भी व्यवसायिक संस्थान की Profitability and Financial Position को समझने के लिए शेयर धारको और अन्य बाहरी दलों को जानकारी प्राप्त करने के बुनियादी स्त्रोत है | वे परिसम्पतियो और देनदारियों के संदर्भ में एक निर्दिष्ट अवधि के दौरान व्यवसायिक संस्थान के परिणामो के बारे में जानकारी प्रदान करते है , जो निर्णय लेने का आधार होते है | इस प्रकार , वितीय विवरणों (Financial Statement) का प्राथमिक उद्देश्य उपयोगकर्ताओ को उनके निर्णय लेने में सहायता करना है |

 

विशिष्ठ उद्देश्यों में निम्नलिखित शामिल है :

  1. वे निवेशको और अन्य बाहरी दलों , जिनके पास जानकारी प्राप्त करने के लिए सीमित अधिकार या संसाधन है , को एक फर्म के आर्थिक संसाधनो और दायित्वों के बारे में पर्याप्त , विश्वसनिय और आवधिक जानकारी प्रदान करते है अर्थात वितीय विवरण (Financial Statement ) में परिसम्पतियो और देयताओ की जानकारी रहती है जिसे कम्पनी को निश्चित समय अवधि पर तैयार करना होता है |

 

 

3.4  वितीय विवरणों के प्रकार (Types of Financial Statement)

                                                         कम्पनी एक्ट ,2013 की धारा 2 (40) के अनुसार , कम्पनी द्वारा बनाये जाने वाले वितीय विवरण (Financial Statement) मुख्यतया: चार प्रकार के होते है जो इस प्रकार है :–

3.4 आर्थिक चिट्ठा (Balance Sheet)

वह विवरणी जहाँ किसी व्यवसाय या संगठन की दीर्घ कालीन और लघु कालीन परिसम्पतियों , देनदारियो और पूंजी का विवरण तथा किसी विशेष समय पर पिछली समय अवधि में हुए आय और व्यय के संतुलन का बैयोरा हो उसके  Balance Sheet कहा जाता है |

 

3.4.3 नकदी प्रवाह विवरण (Cash Flow Statement)

नकदी प्रवाह विवरण एक वितीय विवरण (Financial Statement) है जो किसी कम्पनी में Inflow (आने) और Outflow (जाने ) वाले नकदी और नकदी समक्ष की राशी का सारांश देता है | नकदी प्रवाह (Cash flow) विवरण (Cash flow Statement) के मुख्य घटक है :–

  • संचालन की गतिविधियों से नकदी प्रवाह (Cash Flow from Operational Activities)
  • निवेश गतिविधियों से नकदी प्रवाह (Cash Flow from Investment Activities):
  • वितीय गतिविधियों से नकदी प्रवाह (Cash Flow from Financial Activities):

 

 

3.4.4 Equity में परिवर्तन का विवरण (statement of change in Equity)

                                                              यह एक वर्ष के दौरान उनकी Equity में हुए बदलाव को Reconcile करने की प्रक्रिया है | इसमें एक वर्ष की अवधि के दौरान मालिको को equity में हुए बदलाव का पूरा विवरण दर्शाया जाता है |

 

 मालिको की Equity में हुई गतिविधि निचे दिए गए घटकों से उत्त्पन्न होती है:-

  • एक अवधि के दौरान Share capital
  • अवधि के दौरान लाभांस का भुगतान
  • पुनमूल्याकंन से Reserve में बदलाव
  • वर्ष के दौरान अन्य लाभ / हानि

 

 

 

                                                                                               

                                                           

 

. ट्रेंडिंग और मैनुफेक्चरिंग खाता (Tranding & Manufacturing Accounts)

                                                                                                

4.1 ट्रेंडिंग खाता या व्यापार खाता (Trading Accounts )

                                                            यह एक विशिष्ठ अवधि के दौरान व्यवसायिक गतिविधियों सकल लाभ को दर्शाता है | यह व्यवसायिक के अंतिम खातो का ही एक हिस्सा है अर्थात Trading Account कुल बिक्री , कुल खरीद और बिक्री से सम्बन्धित प्रत्यक्ष खर्चो का विवरण होता है |

 

एक Treding Account का प्रारूप निम्न प्रकार होता है:-

  • प्रारम्भिक स्टॉक (Opening stock )
  • क्रय (Purchase)
  • क्रय वापसी (Purchase Return)
  • मजदूरी (Wages)
  • माल ढुलाई (Cartage Inward)
  • गैस , ईधन और विधुत (Power and Fuel)
  • सकल लाभ (Gross Profit)
  • विक्रय (sales)
  • विक्रय वापसी (Sale Return)
  • अंतिम स्टॉक (Closing Stock)

 

 

4.2  निर्माण खाता (Manufacturing Accounts):-

                                                                   जो कम्पनी वस्तु निर्माण एवम विपणन का कार्य करती है उन को उत्पादन की लागत जानने हेतु Manufacturing Account तैयार करना होता है और निर्माण खातें से उत्पादित वस्तु की लागत निकाली जा सकती है |

 

4.3 लाभ और हानि खाता (Profit & Loss Account):-

                                                                इस खाते में Debit और credit side के अंतर को शुद्ध लाभ और शुद्ध हानि कहा जाता है जिसे पूंजी खाते में अंतरित किया जाता है |

 

 

4.4 आर्थिक चिट्ठा (Balance Sheet):-

                                                          अल्पकालीन निर्णय हेतु व्यापार एवम् लाभ हानि खाता एवम् दीर्घ कालीन निर्णय हेतु Balance Sheet / आर्थिक चिट्ठा सहायक होता है |

Balance sheet में समस्त वैयक्तिक खातों का शेष लिखा जाता है |

 

 

4.5 लाभ और हानि खाता व बैलेंस शीट में अंतर(Difference between profit &

 loss Account & Balance Sheet):-

                                                         लाभ – हानि खाते तथा बैलेंस शीट के बिच की अंतर को निचे दी सरणी में दर्शाया गया है|

                                                       

 

.5 लाभ और हानि खाता व बैलेंस शीट में अंतर(Difference between profit &

 loss Account & Balance Sheet):-

                                                         लाभ – हानि खाते तथा बैलेंस शीट के बिच की अंतर को निचे दी सरणी में दर्शाया गया है|

                                                       

:- बैलेंस शीट (Balance sheet):-

 

 

  • Balance sheet में कम्पनी की परिसम्पतियो , एक्टिविटी और देनदारियों का सटीक विवरण होता है इसे प्रत्येक व्यवसाय , साझेदारी फर्म या एकमात्र स्वामित्व फर्म द्वारा तैयार किया जाता है | इससे व्यवसाय अथवा कम्पनी की वितीय सुरक्षा का पता चलता है |
  • Balance Sheet एक विवरण है |

 

  • :- लाभ – हानि खाता (Profit & Loss Account):-

 

 

  • लाभ – हानि खाते में , जिसे राजस्व और खर्चो या आय का विवरण भी कहा जाता है |
  • यह खातो को दर्शाता है |

 

                             

 

5:-  नकद प्रवाह विवरण बनाने का सिद्धांत(Method of

            Preparing cash flow statement)

       

  • 1 नकद प्रवाह विवरण (cash flow statement)

 

  • नकद प्रवाह विवरण के उद्धेश्य (Objectives of cash flow statement)

 

  • नकद प्रवाह विवरण के मुख्य लाभ (Main Benefits of cash flow statement)

 

  • नकद प्रवाह विवरण को तैयार करने हेतु गतिविधियों का वर्गीकरण

 

  • प्रचालन गतिविधियों से रोकड़ का प्रवाह (cash flow from operating activities)

            1:- प्रचालन गतिविधियों से नकदी का outflow:-

मॉल की बिक्री तथा सेवाओ को प्रदान करने से रोकड़ प्राप्तिया

फीस , कमिशन आदि से रोकड़ प्राप्तियां

2:-  प्रचालन गतिविधियों से नकदी का inflow:-

कच्चे माल को जुटाने एवम् प्राप्त की गयी सेवाओ हेतु नकद भुगतान

आयकर हेतु नकद भुगतान

  • निवेश गतिविधियों से रोकड़ का प्रवाह (Cash flow from investment activities)

 

नकदी का inflow (अंतर्वाह ):-

ऋणों एवम् अग्रिमो के ब्याज से नकद प्राप्ति

अन्य संस्थानों में निवेश से प्राप्त लाभांस

नकदी का outflow (बहिर्वाह ):-

किसी कम्पनी के शेयर्स ,प्राप्त करने के लिए नकद भुगतान

दूसरी कम्पनी को अग्रिम रोकड़ या ऋण देना

  • वितीय गतिविधियों से रोकड़ का प्रवाह (cash flow from financial activities)
  • नकद प्रवाह विवरण बनाने की विधि (preparing cash flow statement)

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